Sunday 19 November 2017

साधो अलख निरंजन सोई।

साधो अलख निरंजन सोई।
गुरू परताप राम रस निर्मल, और न दूजा कोई!!
सकल ज्ञान पर ज्ञान दयानिधि, सकल जोत पर जोती। 
जाके ध्यान सहज अघ नाशै, सहज मिटैं जम छोती!!१!!
जाकी कथा के सरवन तेही, सरवन जाग्रत होई। 
ब्रह्या विष्णु महेश अरु दुर्गा, पार न पारै कोई!!२!!
सुमिर सुमिर जन होई हेराना, अति झीना से झीना।
अजर अमर अक्षय अविनाशी, महावीन परवीना!!३!!
अनंत संत जाके आश पियासा, अगन मगन चिरजीवै।
जन 'दरिया' दासन के दासा,महा कृपा रस पीवै!!४!!

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