1008 ANANT SRI DARIYAV JI MAHARAJ अनंत विभूषित १००८ दरियाव जी महाराज
Thursday, 28 July 2016
चिंतामणि का अंग ।।दरिया वाणी।।
चिन्तामणि का अंग
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चिन्तामणि चौकस चढी,सही रंक के हाथ।
ना काहू के सँग मिलै,ना काहू से बात॥
दरिया चिन्तामणि रतन,धरयो स्वान पै जाय।
स्वान सूंध कानैं भया,टूकां ही की चाय॥
दरिया हीरा सहस दस,लख मण कंचन होय।
चिन्तामणि एकै भला,ता सम तुलै न कोय॥
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