॥ नमो राम परब्रह्मजी ॥
नमो राम परब्रह्मजी, सतगुरु संत आधार।
जन दरिया वन्दन करै, पल पल बारम्बार।।
शब्दार्थ:
- नमो = नमन, वंदन
- राम परब्रह्मजी = परमेश्वर स्वरूप राम, जो निर्गुण-सगुण से परे, सर्वव्यापक ब्रह्म हैं
- सतगुरु = सच्चे गुरु, जो आत्मा को परमात्मा से मिलाते हैं
- संत आधार = संत ही इस जीवन के आधार हैं, जो राह दिखाते हैं
- जन दरिया = संत दरियावजी महाराज, सेवक स्वरूप
- वन्दन करै = नमन करते हैं
- पल पल बारम्बार = हर क्षण बार-बार
भावार्थ:
संत दरियाव साहेब कहते हैं कि मैं उन राम परब्रह्मजी को बारम्बार प्रणाम करता हूँ, जो इस सम्पूर्ण सृष्टि के मूल कारण हैं, जो सच्चे सतगुरु और समस्त संतों के भी आधार हैं।
ऐसे परब्रह्म को दरियावजी जैसा भक्त हर पल, हर श्वास में श्रद्धा से नमन करता है।
यह दोहा भक्त के हृदय में बसी गुरु भक्ति, संत श्रद्धा और ब्रह्म-निष्ठा का गहरा भाव प्रकट करता है।
टिप्पणी:
यह दोहा रामस्नेही परंपरा के उस भाव को व्यक्त करता है जहाँ राम = परब्रह्म, और गुरु-संतों को उस परब्रह्म तक पहुँचने का साधन माना गया है। संत दरियावजी का जीवन इसी नित्य वंदना और ध्यान का उदाहरण है।
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