Tuesday, 5 August 2025

जन दरिया हरि भक्ति की ।। Sri Dariyav Vani

जन दरिया हरि भक्ति की, गुरां बताई बाट ।

भूला ऊजड़ जाय था, नरक पड़न के घाट।। 


❖ शब्दार्थ:

  • जन दरिया = संत दरियावजी महाराज
  • हरि भक्ति की = परमात्मा की भक्ति
  • गुरां बताई बाट = गुरु ने जो मार्ग बताया
  • भूला = भटका हुआ
  • ऊजड़ जाय था = उजड़े हुए, सुनसान, असत्य के मार्ग पर चला जा रहा था
  • नरक पड़न के घाट = नरक में गिरने का स्थान, विनाशकारी मार्ग

❖ भावार्थ:

आचार्य श्री दरियावजी महाराज कहते हैं कि सतगुरु ने मुझे हरि भक्ति का सही मार्ग बताया
मैं तो अज्ञानवश भटककर ऐसे उजड़े हुए रास्ते पर जा रहा था, जो अंततः नरक की ओर ले जाने वाला था
लेकिन सतगुरु की कृपा और उनके बताए मार्ग पर चलने से, मुझे भगवत-प्राप्ति का सच्चा रास्ता मिल गया


❖ व्याख्या:

यह दोहा गुरु की महिमा और मार्गदर्शन के महत्व को अत्यंत सरल, लेकिन गहन शब्दों में व्यक्त करता है।

संत दरियाव जी महाराज स्वीकार करते हैं कि:

  • बिना गुरु के मार्गदर्शन के जीव भटका हुआ रहता है, उसे यह भी नहीं पता कि वह किस दिशा में जा रहा है।
  • वे कहते हैं कि मैं तो अज्ञान रूपी अंधकार में, असत्य और मोह के मार्ग पर चला जा रहा था — एक ऐसा मार्ग जो अंततः नरक (दुःख, जन्म-मरण के चक्र) की ओर ले जाता।
  • लेकिन जब सतगुरु ने मुझे हरि भक्ति की बाट (सही दिशा) बताई, तब मेरे जीवन का मोड़ बदल गया।
  • गुरु के वचन का पालन करने से, मेरी आत्मा को वह सत्य मार्ग मिल गया, जो भगवत-प्राप्ति की ओर ले जाता है।

इस वाणी से स्पष्ट है कि सतगुरु के बिना आत्मा का मार्ग अंधकारमय होता है, और गुरु ही सही दिशा देकर भक्ति और मुक्ति की राह पर आगे बढ़ाते हैं


❖ टिप्पणी:

इस दोहे का संदेश सीधा है:

  • गुरु के बिना जीवन दिशाहीन है
  • सतगुरु ही वह दीपक हैं जो अज्ञान के अंधकार को मिटाकर हमें भगवान तक पहुंचने की राह दिखाते हैं
  • यह हमें यह भी चेतावनी देता है कि भटका हुआ जीवन नरक समान है, और गुरु मार्गदर्शन ही हमें उस विनाशकारी राह से बचाता है।

यह दोहा हर साधक को प्रेरित करता है कि गुरु की वाणी को अपनाना ही मोक्ष का मार्ग है


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