Monday 17 August 2015

भजन -अमृत नीका कहै सब कोई, पीये बिना अमर नहीं होई

अमृत नीका कहै सब कोई,
पीये बिना अमर नहीं होई ।।१।।
कोई कहै अमृत बसै पताला,
नाग लोग क्यों ग्रासै काला ।। २ ।।
कोई कहै अमृत समुद्र मांहि
बड़वा अगिन क्यों सोखत तांहि ।। ३ ।।
कोई कहँ अमृत शशि में बासा,
घटे बढे क्यों होई है नाशा । । ४ ।।
कोई कहै अमृत सुरगां मांहि
देव पियें क्यों खिर खिर जांहि। । ५ ।।
सब अमृत बातों की बाता,
अमृत है संतन के साथा ।। ६ ।।
'दरिया' अमृत नाम अनंता,
जा को पी-पी अमर भये संता ।। ७।।

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