Wednesday 17 December 2014

दरियाव जी महाराज की दिव्ये वाणी

सूरत गगन में बैठकर,पति का ध्यान संजोय।
नाड़ी नाड़ी रूँ रूँ बीचे,ररंकार धुन होय ।।
बिन पावक पावक जलै,बिन सूरज परकास।
चाँद बिना जहँ चांदना,जन दरिया का बास।।
कंचन का गिरी देखकर,लोभी भया उदास।
जन दरिया थाके बनिज,पूरी मन की आस।।
ब्रह्म अगनी ऊपर जलै,चलत प्रेम की बाय।
दरिया सीतल आत्मा, कर्म कन्द जल जाय।।
दरिया गैला जगत से,कैसे कीजै हेत।
जो सौ बेरा छानिये,तोह रेत की रेत।।
दरिया गैला जगत को,क्या कीजै सुलजाय।
सुलझाया सुलझे नही,फिर सुलझ सुलझ उलझाय।।
भेड़ गती संसार की ,हारे गिनै न हाड़।
देखा देखि परबत चढ़ै,देखा देखि खाड़।।
कर में तो माला फिरे,जीभ फिरे मुख माय।
मनवा तो चहुं दिस फिर,ऐसा सुमिरण नाय।।
कण्ठी माला काठ की,तिलक गार का होय।
जन दरिया निजनाम बिन,पार न पहुँचे कोय।।

Thursday 11 December 2014

बोलो राम


मेरे रोम रोम के हैं राम ही रमैया ।
सांसो के स्वामी मेरी नैया के खिवैया ।

Thursday 27 November 2014

रामनाम लेना आरम्भ तो करो

बहुत से लोग कहते हैँ-तुम नाम जपते हो तो मन लगता है कि नहीँअगर मन नहीं लगता तो नाम जपने का कोइ फायदा नहीँ- ऎसा कहने वाले वे भाइ भोले हैँ,वे भूल मेँ है! वे कुछ नहीं जानते क्योँकि उन्होने कभी नाम जप किया ही नहीँ!पहले मन लगेगा फिर रामनाम जाप करेँगे ऎसा कभी हुआ है क्या और क्या कभी ऎसा होगा?ऎसी सम्भावना भी है क्यापहले मन लग जाए पीछे राम-राम करेँगे-ऎसा होता ही नहीँ!रामनाम जपते जपते ही नाम महाराज की कृपा से मन लगने लगेगा 
हरिसे लागा रहो भाइ! तेरे बिगङी बात बन जाइ,रामजी से लागा रहो भाइ!!इसलिए नाम-महाराज की शरण लेनी चाहिये!जीभ से ही राम-राम-राम शुरू कर दो मनकी परवाह न करो!परवाह न करो का मतलब यह नहीं है कि मन लगाओ ही नहीँ!इसका अर्थ यह हैकि हमारा मन नहीँ लगा इससे घबराओ मत कि हमारा जप नहीं हुआ! यह बात नहीं है!जप तो हो ही गया,जपते जाओ!
रामजी ने कृपा करके अपने नाम.राममेँ अपनी पूरी शक्ति रखदी है और इसमेँ विलक्षणता यह हैकि इसके जपने मेँ कोइ समय नहीं बाँधा गया है रामनाम को सुबह ,शाम,दोपहर,रात्री-हर समय ले सकते हैँ!कइ लोग कहते हैँ क्या करेँ हमारे नाम लेना लिखा ही नहीँ तो सज्जनोँ!अभी नाम जप करके नाम लिखा लो,इसमे देरी का कोइ काम नहीं है!इसका दफ्तर हर समय खुला है!दिन मेँ रात्री.मेँ सुबह मेँ शाम मेँ सम्पत्तिमेँ विपत्ति ने,सुख मेँ दुखमेँ आप रामनाम लो अभी लिखा जाएगा!और रामनाम की पूँजी हो जाएगी! अब रामनाम को भूल ना जाएँ इसका ख्याल रखो!इसके लिये उपाय है कि मन ही मन भगवान को प्रणाम करके उनसे यह प्रार्थना करेँ- हे नाथ!मै आपको भूलूँ नहीँ,हे रामजी!मै आपको भूलूँ नहीँ,हे प्रभो! मै आपको भूलूँ नहीँ!-ऎसा मिनट मिनट आधे आधे मिनट मेँ आप कहते रहो!नीँद खुले तबसे लेकर गाढी नीँद न आ जाए तबतक हे नाथ!मै आपको भूलूँ नहीं!ऎसा कहते रहो!राम राम राम राम कहते हुए साथमेँ कह देँ-हे नाथ मै आपको भूलूँ नहीँ
राम राम राम राम राम राम हे राम मै आपको भूलूँ नहीं राम राम राम राम
भगवान से ऎसी प्रार्थना करते रहोतो भगवान की कृपा से यह भूल मिट जाएगी फिर अखण्ड भजन होगा अखण्ड!'ताली लागी नाम से और पडयो समँदसे सीररामनाम की धुन लग जाएगी!फिर आपको कोइ उद्योग नहीं करना पङेगा स्वत: ही भगवान की कृपा से भजन चलेगा!परन्तु आप पहले रामनाम लेना आरम्भ तो करो
राम राम राम
स्वामी रामसुखदास जी 

Friday 14 November 2014

भजन करो भाई रे।

।। राम राम सा।।
भजन करो भाई रे।
एसो तन पाई के।।
नाही रहे लंकापति रावण
नाही रहे दुर्योधन राइ रे
एसो तन पाई के।।
नाही रहे हनुमान जानकी
नाही रहे लखन-रघुराई रे
एसो तन पाई के।।
नाही रहे वासुदेव जसोदा
नाही रहे
नाही रहे किशन कन्हाई रे
एसो तन पाई के।।
मात पिता सूत
आड़े भाईबंद
आयो जमराज
आयो जमराज
पकड़ ले जाई रे
एसो तन पाई के।।
लाल खंभ पर
देत ताव लो
बिन सतगुरु कोन
बिन सतगुरु कोन
छुड़ाई मेरे भाई रे
एसो तन पाई के।।
धरमदास की
अरज गुसाई
नाम कबीर
नाम कबीर
को हराई मेरे भाई रे
एसो तन पाई के।।
भजन करो भाई रे।।
एसो तन पाई के।।