Friday, 15 November 2019
रामस्नेही सम्प्रदाय रेण की वंशावली
Tuesday, 12 November 2019
अपने गुरुदेव का गुरुपद यह ब्रह्मा, विष्णु, महेश से भी ऊँचा पद है।
अपने गुरुदेव का गुरुपद यह ब्रह्मा, विष्णु, महेश से भी ऊँचा पद है। *गुरु साक्षात् परब्रह्म हैं।* ब्रह्माजी ने तो बाहर का शरीर दिया *किंतु गुरुदेव ने हमको ज्ञान का वपु (शरीर) दिया।* विष्णु जी बाहर के शरीर का पालन करते हैं *लेकिन गुरुदेव हमारे ज्ञान को पुष्ट करते हैं। हमारे “मैं” को, हमारे चैतन्य वपु को ब्रह्ममय उपदेश दे के पुष्ट करते हैं।* शिवजी तो बाहर के ‘कचरा (मलिनता भरे) शरीर’ को मारकर नये की परम्परा में ले जाते हैं। *लेकिन गुरु जी तो जन्म-जन्मांतर के संस्कारों की सफाई करके हमें शुद्ध स्वरूप में जगाते हैं।* तो गुरुदेव ब्रह्मा-विष्णु-महेश की नाईं हमारे अंदर इतना परिवर्तन करते हैं फिर भी रूकते नहीं, *गुरुदेव तो अपने स्वरूप का दान दे देते हैं- ‘जो मैं हूँ वह तू है।’* तो ब्रह्म-परमात्मा से अपने को अभिन्न अनुभव करना यह गुरु तत्त्व का प्रसाद पाना है।
कहाँ तो अनंत ब्रह्मांडनायक परमेश्वर और कहाँ एक हाड़-मांस के शरीर में रहने वाला चेतन लेकिन ‘शरीर मैं हूँ’ यह भ्रांति मिटते ही *अनंत ब्रह्मांडनायक के साथ एका करा देते हैं गुरुदेव*
*ऐसे गुरुदेव को मेरा दण्डवत कोटि कोटि नमन, नमन !*
*राम जी राम*