नमो राम परब्रह्मजी,सतगुरु संत आधार।
जन दरिया वंदन करे,पल पल बारम्बार।।१।।
नमो नमो हरि गुरु नमो,नमो नमो सब संत।
जन दरिया वंदन करे,नमो नमो भगवंत।।२।।
नमो ब्रह्म व्यापक गुरु,नमो राम दरियाव।
हरिनारायण विनती करे,रखो चरण में चाव।।३।।
अखण्डमंडलकारां व्याप्तं येन सचराचरम।
तत्पदं दर्शितं येन तस्मै श्रीगुरुवे नम:।।४।।
अखंडानंद बोधाय शिष्यसंताप हारिणे।
सच्चिदानंद रुपाय रामाय गुरुवे नम:।।५।।
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वर:।
गुरूसाक्षात परब्रह्म तस्मै श्रीगुरुवे नम:।।६।।
ध्यानमूलं गुरोमुर्ती पूजा मूलं गुरो:पदौ।
मंत्र मूलं गुरो वाक्यं मोक्ष मूलं गुरो:कृपा।।७।।
अज्ञान तिमिरान्धस्य ज्ञानांजन शलाकया।
चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्रीगुरुवे नम:।।८।।
त्वमेव माता च पिता त्वमेव,त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव।
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव,त्वमेव सर्वं मम देव देव।।९।।
Tuesday 30 September 2014
नित्ये स्तुति
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