Thursday 30 May 2019

प्रत्येक वस्तु ईश्वर की सम्पति

प्रत्येक वस्तु ईश्वर की सम्पति
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प्रत्येक वस्तु को ईश्वर की सम्पति मानकर मनुष्य की उसका उपयोग करना चाहिए।ईश्वर की सम्पति को अपना मनना हमारी भूल है।जो वस्तु मनुष्य की अपनी नही है और वह उसे अपनी मानता है,तो यह भी एक प्रकार की चोरी है ।जो व्यक्ति अपना सर्वस्व ईश्वर को अर्पित कर देता है , ईश्वर उसे कल्याण का रास्ता स्वयं बता देता है ।
         उपभोग की सभी वस्तुओं को मनुष्य ईश्वर की मानकर अहंकार त्याग दे तो वह उसी क्षण से सुखी बन जाता है। मनुष्य सद्गुरु और परमात्मा से अच्छे सम्बन्ध बनाने का प्रयास तो करता है, लेकिन उसके तुरन्त फल नही मिलने के कारण दुःखी हैओ जाता है । सत्संग और पुण्य से सतगुरु और परमात्मा से निकटता बढ़ जाती है । संसार के लोग गिरे हुओं को गिराते है । जबकि ईश्वर गिरे हुओं को उठाता है । पाप करने वाला ईश्वर की दृष्टि से भी गिर जाता है।

चिन्तन धारा (  रेण पीठाधीश्वर आचार्य श्री श्री 1008 श्री हरिनारायण जी महाराज जी के प्रवचन  )

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