Wednesday 18 December 2019

स्वामी श्री बलरामदास जी महाराज

केवल प्राचीन समय में ही संत-महापुरुषों का अवतरण हुआ हो ऐसी बात नहीं है। अर्वाचीन समय में भी आध्यात्मिक ऊँचाईवाले अनेक संत, ऋषि, महर्षि हो गये हैं। उन्हीं में से आप एक थे विश्ववंदनीय प्रातः स्मरणीय श्रोत्रिय ब्रह्मनिष्ठ पूज्यपाद स्वामी श्री बलरामदास जी महाराज। आपने श्री ने सत्-चित्-आनंद की पराकाष्ठास्वरूप परमानंद को पाया था एवं अनेक साधकों को इसी दिशा की ओर मोड़ा था। आपका जीवन पृथ्वी के समस्त जीवों के लिए दिव्य प्रेरणास्रोत था। आपकी प्रत्येक चेष्टा समष्टि के हित के लिए ही थी। आपके दर्शनमात्र से प्रसन्नता उत्पन्न हो जाती थी, निराशा के बादल छँट जाते थे, हताश हुए लोगों में उत्साह का संचार हो जाता था एवं उलझे हुओं की उलझनें दूर होकर उनमें नयी चेतना छा जाती थी। आपका सम्पूर्ण जीवन ही मानो निष्काम कर्मयोग का मूर्तिमंत स्वरूप था।

लोगों के जीवन में से लुप्त होते धार्मिक संस्कारों को पुनः जगाने के लिए, संस्कृति के पुनरुत्थान के लिए एवं सोयी हुई आध्यात्मिकता में पुनः प्राण फूँकने के लिए वे आजीवन कार्यरत रहे। आपकी प्रार्थना ही विश्वकल्याण की भावना की द्योतक हैः

'हे भगवान ! सबको सदबुद्धि दो.... शक्ति दो.... आरोग्यता दो... हम सब अपना-अपना कर्त्तव्य पालें एवं सुखी रहें....'

लाखों-लाखों माँ सरस्वती जी भी एकत्रित होकर जिनकी महिमा का वर्णन नहीं कर सकतीं ऐसे ब्रह्मनिष्ठ, आत्म-साक्षात्कारी महापुरुष, वेदान्त के मूर्तिरूप श्री बलरामदास जी महाराज के संदर्भ में कुछ भी लिखना मात्र बालचेष्टा ही है। आपकी दिव्य लीला वर्णनातीत है, शब्दातीत है। उनके अलौकिक व्यक्तित्व को शब्दसीमा में बाँधना असंभव है। वामन भला विराट को कैसे नाप सकता है? गागर में पूरा सागर कैसे समा सकता है?

विशाल महासागर में से मात्र एक बूँद की झलक दिखाने के सिवा और क्या हो सकता है? आपका चरित्र इतना विशाल, गहन एवं उदार है कि उनके विषय में कुछ भी कहना या लिखना उनकी विशालता को मर्यादित कर देने जैसा लगता है। आप ही के पदचिन्हों पर पगडण्डी पर विचरण कर रहे मेरे प्यारे मेरे परम् पूज्य आचार्य श्री हरिनारायण बापजी महाराज सा के चरणों मे भी कोटि कोटि वंदन🙇‍♀तथा दादा गुरु श्री बलरामदास जी महाराज की आज 40वी मोक्ष थिति के उपलक्ष्य में भी मेरे सभी गुरु मुखी भाई बहनों को राम जी राम प्रणाम🙏

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