Wednesday 18 December 2019

अमृत बिन्दु :-स्वामी श्री बलरामदास जी महाराज

स्वामी श्री बलरामदासजी महाराज
(अमृत बिंदु)

भारी से भारी संकट पड़ने पर भी विशुद्ध प्रेम भक्ति और भगवत साक्षात्कार के सिवा अन्य किसी प्रकार सांसारिक कामना, याचना अथवा इच्छा नहीं करनी चाहिए।

मृत्यु सिर पर मंडरा रही है इसे याद रखते हुए सदा सावधानी रखने पर पाप कर्मों में पर प्रवर्ति नहीं होगी।

संसार के विषयों में आसक्ति होने से आशा की उत्पत्ति और तृष्णा की वृद्धि होती है।

बाहर से निर्दोष कहलाने का प्रयत्न न करके मन से निर्दोष बनना चाहिए।

आश्रय तो भगवान का ही है ऐसा विश्वास रखना चाहिए सारे कार्य भगवान के निमित्त समझते हुए करते जाएं।

निषिद्ध कार्य न करें जिसे हम जानते हैं कि यह कार्य अच्छा नहीं है उसे कदापि नहीं करें।

अपने घर को भगवान का मंदिर समझते हुए स्वच्छता का ध्यान रखें परिवार को भगवान का समझते हुए उसकी सच्चे दिल से सेवा करें।

सुबह उठते ही संकल्प करें कि मेरे द्वारा किसी को किसी तरह का दुख नहीं होवे। सोते समय भी इसी तरह की भगवान से प्रार्थना करें।

जब आपको चिंता होती है दुख होता है तो यह समझना चाहिए कि आपको राम जी याद कर रहे हैं। और नामोउच्चारण या नाम जप में लग जाना चाहिए।

मनुष्य जब जब भगवान को भूलकर संसार को अपना सहारा मानता है , तब तब वह जीव दुख, रोग , अशांति से तपता रहता है। फिर भी सत्संग के अभाव से जीव यह नहीं समझ पाता कि मैं भगवान को भूल गया अतः यह तपत जलन बढ़ रही है। एक बात बहुत गहराई से हम सबको समझ लेनी चाहिए भगवान अपने हैं ,मुझे भगवान का ही सहारा है, यह अपने हृदय में दृढ़ता से जमा लेनी चाहिए। कहीं ऐसा न हो कि बाहर तो लोगों से कहते हैं कि सब कुछ भगवान का है और भीतर से संसार की आशा बनी रही तो धोखा है।

हमेशा भगवान को याद रखना चाहिए ।और यह मानना चाहिए कि अपने मन के विरुद्ध होने पर भगवान की इच्छा से काम हो रहा है । दुख कष्ट आने पर पहले के पाप कटते हैं । और जीवन पवित्र बनता है।

भगवान को भूलकर संसार के जीवो को अच्छा बुरा कहना अपना अमूल्य समय नष्ट करना है और चित्त में जलन अशांति भी इसी दोष के कारण होती है। याद रखो "कभी पर चर्चा न सुहावे, और राम नाम नहीं छूटे" फिर सब ठीक हो जावेगा।

राम जी को अपना मानकर याद करने से स्वत: प्रेम होगा और संसार को अपना न  मानकर सबकी (अपनी शक्ति अनुसार) सेवा करने से मौह छूटेगा। संसार और शरीर को अपना मानने से दु:ख शोक होता है । मनुष्य जीवन तभी सफल है जब कोई दु:ख शोक चिंता रहे ही नहीं।

हमारे जिन दोषो दुर्गुणों से दूसरों को दु:ख होता है जब तक उन दोषों दुर्गुणों को छोड़ने का निश्चय नहीं करेंगे तब तक हमारा दु:ख नहीं मिट सकता। मनुष्य जन्म केवल स्वभाव सुधारने के लिए है स्वभाव सुधार की यही पहचान है कि उसके चित्त में शांति आनंद रहेगा।

जब मन में चिंता या हलचल अथवा जलन हो तो सोचना चाहिए कि इस समय हमको राम जी याद कर रहे हैं इस वास्ते आप भी राम-राम करो तुरंत हलचल जलन मिट जावेगी।

मनुष्य जन्म केवल स्वभाव सुधारने के लिए ही मिला है। जो सच्चे हृदय से अपना स्वभाव मधुर प्रिय बनाना चाहते हैं तो भगवान कृपा कर वैसा सुंदर स्वभाव बना सकते हैं।

संसार और भगवान के यहां अच्छा बनने वाले को कभी भी किसी के साथ कड़वा बोल नहीं बोलना चाहिए।

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