Tuesday 26 July 2022

गुरूधाम कि महिमा


गुरूधाम कि महिमा

गुरूधाम यह सबसे बड़ा तिर्थ है। यहाकि धरती परम पवित्र एवं पावन होती है। गुरूधाम जानेसे करोडो पापो का क्षय होता है एवं सभी तीर्थो का फल एकसाथ प्राप्त होता है ।यह वो स्थान है जहा परम योगीश्वर, करूणा के सागर, जगतपती, ईश्वरीय अंश, महातपोनीधी, अखिल ब्रह्माण्डनायक, दीनबन्धु ,जगत को सतमार्ग बताने वाले, विश्व कल्यानार्थ अवतार लेने वाले सतगुरू नीवास करते थे।यहा के रोए रोए मे सतगुरू कि आभा मंडीत है। यहाका प्रत्तेक स्थान प्रियतम सतगुरू के यादोसे अलंकृत है। अनेको संतप्त जीवो के शांती का यह केन्द्र बिंदु है। सतगुरू सद्दैव यहा सुक्षम रूप से विहार करते रहते है क्युकि यह अनोको पुर्व आचार्यो कि साधना स्थली रहा है।ऐसे महान तिर्थराज अपने गुरूधाम जाओ तो तनकी आंंखो का नही अपनी मन कि आंखोका प्रयोग करना।मनकि आंखो से अपने प्रेममूर्ति सतगुरू कि झाकिया देखना, उनके साथ बिताए हुए अनमोल क्षन, उनकि दिव्य लिलाए मनको मोह लेने वाली उनकि मधुर मुस्कान उनकि करूणामयी द्रृष्टि पडनेपर प्राप्त होने वाली आत्मिक शान्ति कि अनुभुती करना यह वह शितल जोस्ना है जो प्रत्तेक शिष्य को प्राप्त नहीं होती। सतगुरू के नुरानी रूप का ध्यान करना तब यह अनुभुती होंगी वे कही दुर नही हमारे अत्यन्त नीकट है और हमसे कह रहे हैं- "मोडो घनो आयो तू "
सतगुरू का स्थान सर्वोच्च है उनके जैसे तो वो ही है।गुरूधाम मे किए गये प्रेत्तेक शुभ कर्म अनंत अनंत गुना फल दाई है। यह वह तपोभुभी है जहा बडे बडे सिद्ध महापुरूष अपनी सिध्दता को सिध्द करने आते है, लक्षमि माता कुबेर एवं समस्त देव गण नतमस्तक होते है। ऐसे मेरे गुरूधाम दरियाव धाम, रेण कि महिमा अवर्णनीय है। 

*"सारे तिरथ धाम आपके चरणो मे*
*हे गुरूदेव प्रनाम आपके चरनोमे "*


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