Thursday 15 September 2016

दरियाव जी महाराज द्वारा रचित आरती

आरती
ऐसी आरती निस दिन करिये ।
राम सुनिर भव सागर तिरिये ।।1।।
तन मन अरप चरण चित दीजे।
सतगुरु शब्द हिरदे धर लीजै ।।2।।
तन देवल बिच आतम पूजा ।
देव निरंजन और न दूजा ।।3।।
दीपक ज्ञान पांच कर बाती ।
धूप ध्यान खेवो दिन राती ।।4।।
अनहद झालर शब्द अखण्डा ।
निश दिन सेव करे मन पण्डा ।।5।।
आनन्द आरती आतम देवा ।
जन दरियाव करे जहां सेवा ।।6।।

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