Wednesday 21 July 2021

सन्त श्री किशनदास जी महाराज की दिव्य वाणी

राम राम कहे किसनदास, जबलग सास सरीर । 
अवध उलांग्या जात हे, ज्युं परबत को नीर

जब लग सास सरीर में, तबलग राम संभाल ।
 किसना जेजन कीजिये, आय पहूंचे काल 

राम भजन कर लिजीये, कर सतगुरु सुं हेत। 
किसनदास ओसर भलो, चेत सके तो चेत 

किसनदास ओसर बण्यो, राम भजन को डाव । 
ओसर चाल्यो जात है, कर कुछ व्हेतो उपाव

 किसनदास निस दिन करे, राम भजन को गाड । 
बाहिर भीतर ओक रस, राम लडावो लाड

 सपने राम न बीसरे, निस दिन करे फिराद । 
किसना जद ही जाणिये, सांई हंदा साद

 राम राम रटबो करे, इमरत झरे अछूट । 
किसनदास वे संतजन, तारे च्यारुं खूंट।।

 राम भजन कर किसनदास, लागो सांची सेव । 
सतगुरु का परताप सूं, परस्या अलख अभेव ।।

किसनदास करतार का, भजन किया भरपूर । 
घरही ज्ञान प्रकासियो, उदे अखंडित सूर।।

 राम नाम का किसनदास, भजन किया भरपूर । 
सतगुरु का परताप सुं, परस्या निर्मल नूर।।

सेनी में सतगुर कही, मोकूं गुपती बात। 
किसनदास रट बोकरो, राम राम दिन रात।।

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