Sunday 30 January 2022

जन दरियाव तुम्हारा दर्शन

*जन दरियाव तुम्हारा दर्शन*

जन दरियाव  तुम्हारा दर्शन, 
भाग भला सोई पावे ॥ टेक ॥ 

सप्तपुरी रायण में प्रगटे, 
दरस परम सुख पावे ।। १ ।।

नाम जहाज भवसागर मांही, बेठत पार लगावे ॥ २ ॥

 देस देस का रामसनेही, 
हिल मिल मंगल गावे ।। ३ ।। 

तपो भूमि में जो कोई आवे, 
करम सकल मिट जावे ॥ ४ ॥ 

कामी क्रोधी और मति हीना, व्याभिचारी टल जावे ।। ५ ।। 

'दर्सण आवे परम पद पावे, आवागमन मिट जावे ॥ ६ ॥ 

सिवसनकादिक और ब्रह्मादिक, मिल नारद जी आवे ।। ७ ।।

 स्वर्ग लोक से सकल देवगण, निसदिन महिमा गावे ।। ८ ।।

 गढ गिरनार मुनीश्वर आवे, 
चरणां सीस नमावे ।। ९ ।। 

मरुधर पुरी जहाँ रायण, 
राजा दर्सण आवे ।। १० ।। 

पूरणदास दासन के दासा, मनवांछित फल पावे ।। ११ ।।

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