कुण जाणे दर्द हमारा, म्हारा बिछड़ीया राम प्यारा ।। टेर ।।
नाम उणा को दरिया, वे सुख सागर से भरिया। हम शरणे बांकी रहेता, माने राम भजन की कहता ।। 1 ।।
हम दर्शन करने जाता, माने भर भर अमृत पाता। अब पूठ हमारी खाली, म्हारे शब्द कटारी साली ।। 2 ।।
मोय बिछड़ियां दुःख दिया, म्हारे हिवड़े करवत बहिया। म्हारी अमृत गागर फूटी, म्हारे हीरां की लड़ टूटी । । 3 ।।
गुरू दरिया मोक्ष सिधाया, म्हारा नैन उमट भर आया। मैं तो सब जग ढूँढण जाऊं, मैं वा सुरत कटासूं पाऊं ।। 4 ।।
म्हारे तन बिच तालाबेली, जैसे जल बिन मीन दुहेली। कहे' सुखराम' सन्देशो, गुरू मिलिया जाय अन्देशो ।। 5 ।।
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