संत दरियावजी महाराज द्वारा सेठ मधुचंद की रक्षा और दरियागंज की उत्पत्ति
संत दरियावजी महाराज के परम भक्तों में एक थे — दिल्ली निवासी नगर सेठ मधुचंद, जो एक श्रावक (जैन) कुल से थे। वह संत की शिक्षाओं से अत्यंत प्रभावित थे और गुरुभक्ति में लीन रहते थे।
यमुना में संकट
एक दिन सेठ मधुचंद प्रातःकाल यमुना नदी में स्नान कर रहे थे। दुर्भाग्यवश, वे जल की तेज धारा में बहने लगे और डूबने की स्थिति में आ गए। संकट की घड़ी में उन्होंने हृदय से अपने सतगुरु दरियावजी महाराज का स्मरण किया।
उस समय संत दरियावजी महाराज रेणधाम में विराजमान थे। भक्त की पुकार पर उन्होंने आध्यात्मिक रूप से यमुना में प्रकट होकर सेठ की रक्षा की। उन्होंने जल से उन्हें बाहर निकाला और जीवनदान दिया।
यह घटना भक्तों के लिए यह दर्शाती है कि:
> "सच्चे संत न केवल जीवन में मार्गदर्शक होते हैं, बल्कि संकट में रक्षक भी बनते हैं।"
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दरियागंज नामकरण
इस चमत्कारी कृपा से अभिभूत होकर, सेठ मधुचंद ने दिल्ली में अपने निवास क्षेत्र में एक मोहल्ले को “दरियागंज” नाम दिया — अपने सतगुरु दरियावजी के स्मरण और सम्मान में।
> यह नाम “दरियाव” (गुरु का नाम) + “गंज” (क्षेत्र या बाजार) के रूप में आज भी जीवित है।
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भावपूर्ण दोहा:
धरयो रूप भगवान दास दरिया को भारी।
करी सहाय तत्काल, इस्या है देव मुरारी।।
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यह प्रसंग दर्शाता है कि:
संत की कृपा असीम और अकल्पनीय होती है।
गुरु-स्मरण मात्र से जीवन का संकट टल सकता है
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