Friday 6 July 2018

61 . धर्म तो केवल मानव धर्म ही है :

61 . धर्म तो केवल मानव धर्म ही है :

संसार मे धर्म तो केवल मानव धर्म ही है अन्य जीतने भी धर्म है वे तो भिन्न रुचि व पूजा पद्धतियों में बंटे हुए समुदाय है । धर्मो के आपसी भेद भाव समाप्त किये बिना सदभावना स्थापित नही हो सकेगी। इसके लिए यदि धर्म गुरु नेता , शिक्षक व माता पिता मिलकर सही दिशा में सुधार का प्रयास करे तो आशा जनक एकता स्थापित हो सकती है ।  लोगो की कथनी व करनी में बहुत अंतर हो रहा है , सब्जी लोग हिंसातनक प्रवतियो तथा नैतिक पतन की और अग्रसर हो रहे है । विशेष कर संकुचित स्वार्थ भावना वाले संप्रदायों के लोग मानवता को भूलते जा रहे है । सबको निडरता से जीने के अवसर देने के स्थान पर घृणा व ईष्या से भयभीत करने की धृणित मानोव्रति बढ़ती जा रही है । अतः हमें यही सोचना है कि हम न तो हिन्दू है न मूसलमान न सिख न ईसाई है हम तो केवल भारतीय मानव है अतः हमारा धर्म तो केवल मानव धर्म है ।

किरकांटया किस काम का , पलट कर बहु रंग ।
जन दरिया हंस भला , जद तद एके रंग ।।

*रेणपिठाधीश्वर श्री 1008 आचार्य श्री हरिनारायण जी शास्त्री,, कर्त,,🌷सागर के बिखरे मोती🌷*

No comments:

Post a Comment