Friday 6 July 2018

62. भेदभाव मिटाकर मानव मात्र को प्रेम दीजिये :

62. भेदभाव मिटाकर मानव मात्र को प्रेम दीजिये :

हमे जातीय, प्रांतीय भाषायी एवं साम्प्रदायिक भेद भाव को मिटा कर मानव मात्र के साथ प्रेम करना चाहिये । राष्ट्र के उज्जवल भविष्य के लिए सभी वादों को निरस्त्र करके प्राणी मात्र को गले लगाना चाहिए । क्योंकि परम की पवित्र भावनासे ही हम हमारे राष्ट्र को एकता के सूत्र में बंध सकते है । भगवान राम ने न केवल मनुष्यों को बल्कि पशुओं को भी एकता के सूत्र में बांधकर समाज व देशद्रोही रावण का संहार करके लोगों के सामने एकता का उत्कृष्ठ आदर्श प्रस्तुत किया ।

*✍रेणपिठाधीश्वर श्री 1008 आचार्य श्री हरिनारायण जी महाराज " कर्त " "सागर के बिखरे मोती"*

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