Saturday 1 June 2019

मानवकल्याण हमारा धर्म हो

*मानवकल्याण हमारा धर्म हो*
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निष्काम भाव से की जाने वाली सतगुरु के सेवा और साधना से भगवान भगत के वश में  जाते है । भगवान स्वयं साधक के आगे झुककर सेवक बन जाते है । *राम नाम ही पूर्ण अवतार है और राम नाम ही धर्म है । राम नाम से ही अवतार प्रगट होता है , अवतार से राम प्रगट नही होता ।*
        हम सब परमात्मा की संतान है। ईश्वर प्राप्ति के साधन भिन्न भिन्न हो सकते है, लेकिन हम सब का धर्म मानव कल्याण होना चाहिए। दुखी आत्माओ को सुख पहुचाना सर्वश्रेष्ठ धर्म है । वेदों में वर्णित मानव जीवन से  सम्बन्द्ध प्रत्येक पहलु पर गहराई से चिंतन मनन कर जीवन को सफल बनाना चाहिए।  वेद पुराण हमारी अमूल्य निधि है । भावी पीढ़ी को सुसंस्कृत बनाने के लिए वादों की शिक्षा दिलवाना आवश्यक है । संस्कारित व्यक्ति ही समाज,राष्ट ओर संसार को दिशा दे सकता है । ऐसे व्यक्ति का जीवन अनुकरणीय होता है ।

*चिन्तन धारा* 
(रेण पीठाधीश्वर आचार्य श्री श्री 1008 श्री हरिनारायण जी महाराज के प्रवचन)

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