Tuesday 4 June 2019

संस्कारो से मिलती है महानता

*संस्कारो से मिलती है महानता*
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सुसंस्कारों से व्यक्ति महानता को प्राप्त होता है । भारतीय संस्कृति में अनेक महापुरुष हुए है , जिन्होंने अपने लौकिक अलौकिक ज्ञान से भारतवर्ष को जगद्गुरु का दर्जा दिलाया है ।  *असंस्कारी प्राणी सतगुरु के संग के अभाव में विष से भरे घड़े के समान* *होता है* जो न स्वयं का भला कर सकता है और न राष्ट व समाज का । महापुरुषों की शरण लेने तथा उनके उपदेशो को श्रवण करने वाला व्यक्ति सद्गुण सदाचार रूपी अमृत से भर जाता है।
              मनुष्य काम क्रोध लोभ और मोह को ही अपना परिवार मान बैठता है , लेकिन ये सब सुख में साथ होते है और दुख में भाग खड़े होते है। *दुखों के सागर में सतगुरु ही व्यक्ति के साथ खड़े रहकर शिष्य को भवसागर पार उतारते है ।* अहंकार रहित जीवन मे मनुष्य को अपार आनंद की अनुभूति होती है, ईश्वर अखण्ड,अविनाशी एवं सर्वशक्तिमान है ।
*चिन्तन धारा*
(रेण पीठाधीश्वर श्री श्री 1008 आचार्य श्री हरिनारायण जी महाराज के प्रवचन)

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