सद्गुरु लाते हें जीवन में क्रांति
सदगुरु की शरण में जाने से व्यक्ति के
जीवन में अलौकिक क्रान्ति आती से । सद्गुरु हमें
जीवन में आने वाली घटनाओं के प्रति सचेत
करते हैं । पाप एवं दुष्कर्म अग्नि के समान है।
जिस प्रकार मां अपने नादान पुत्र को अग्नि के
खतरों से रोकती है उसी प्रकार सदगुरु व्यक्ति को
पाप रुपी आग से बचाता है ।
संसार के भोग पदार्थ चंचलता बढाने वाले
हैं, इनसे बचने के लिए राम नाम रुपी समुद्र से
जुड़ना होगा । राम नाम स्मरण से करोडों पाप
कर्म जलकर नष्ट हो जाते हैं । पाप कर्म जल जाने
के बाद ही जीव को मुक्ति मिलती है । राम नाम से
ही आत्मा का पोषण होता है । शरीर का भोगों के
लिए अधिक उपयोग करने पर शरीर केवल
मल-मूत्र की गठरी कहलाता हैं । सदुपयोग करने
पर शरीर पूजनीय है। जबकि दुरुपयोग करने पर
वह निन्दनीय हे । संतों के संग से मानव का
कल्याण होता से ।
जीवन में अलौकिक क्रान्ति आती से । सद्गुरु हमें
जीवन में आने वाली घटनाओं के प्रति सचेत
करते हैं । पाप एवं दुष्कर्म अग्नि के समान है।
जिस प्रकार मां अपने नादान पुत्र को अग्नि के
खतरों से रोकती है उसी प्रकार सदगुरु व्यक्ति को
पाप रुपी आग से बचाता है ।
संसार के भोग पदार्थ चंचलता बढाने वाले
हैं, इनसे बचने के लिए राम नाम रुपी समुद्र से
जुड़ना होगा । राम नाम स्मरण से करोडों पाप
कर्म जलकर नष्ट हो जाते हैं । पाप कर्म जल जाने
के बाद ही जीव को मुक्ति मिलती है । राम नाम से
ही आत्मा का पोषण होता है । शरीर का भोगों के
लिए अधिक उपयोग करने पर शरीर केवल
मल-मूत्र की गठरी कहलाता हैं । सदुपयोग करने
पर शरीर पूजनीय है। जबकि दुरुपयोग करने पर
वह निन्दनीय हे । संतों के संग से मानव का
कल्याण होता से ।
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