Saturday 28 November 2015

संस्कारो से मिलती है,महानता

संस्कारो से मिलती है,महानता
सुसंस्कारों से व्यक्ति महानता को प्राप्त
होता है । भारतीय संस्कृति में अनेक महापुरुष हुए
हैं, जिन्होंने अपने लौकिक-अलौकिक ज्ञान से
भारतवर्ष को जगदगुरु का दर्जा दिलाया है ।
असंस्कारी प्राणी सद्गुरु के संग के अभाव में विष
से भरे घड़े के समान होता है, जो न स्वयं का
भला कर सकता है और न राष्ट्र और समाज
का । महापुरुषों की शरण लेने तथा उनके उपदेशों
के श्रवण करने वाला व्यक्ति सद्गुरु-सदाचार रुपी
अमृत से भर जाता से ।
मनुष्य काम-क्रोध-लोभ अोर मोह को
ही अपना परिवार मान बैठता है, लेकिन ये सब
सूख में साथ होते से अोर दुःख में भाग खड़े होते
है। दुखो के सागर में सद्गुरु ही व्यक्ति के साथ
खड़े रहकर शिष्य को भवसागर पार उतारते हैं ।
अहंकार रहित जीवन से मनुष्य को अपार आनन्द
की अनुमूति होती है।ईश्वर अखण्ड ,अविनाशी एंव
सर्वशक्तिमान है।

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