40. ऐसी प्रभुता उसे पतित कर देती है:
बड़े पदाधिकारियों को समाज के गरीब छोटे लोगों के साथ नम्रता का व्यवहार करना चाहिए । उन्हें अपने उतरदायित्व का समुचित निर्वाह करते हए समाज सेवा में ही अपने पद का सदुपयोग करना चाहिए लेकिन अहंकारी माया से मुदित व्यक्ति को जब बड़ा पद मिल जाता है तब वह अभिमान अहंकार से मलिन होकर , बड़े महापुरूषो तथा जगदीश( ईश्वर) रूप जगत का तिरस्कार करने व उनसे घृणा करके अपमान करने लग जाता है ।उच्च पदासीन व्यक्ति के पद एवं उसकी स्वयं की गरिमा इसी में है कि वह सभी लोगों के साथ अपने परिवार के सदस्यों के समान ही व्यवहार करे । यदि कोई मनुष्य उच्च अधिकारी (पद ) प्राप्त करके अपने पद की मर्यादा का पालन नही करता है तो वह जगत व जगदीश्वर की दृष्टि में गिर जाता है और ऐसी प्रभुता उसे पतित बना देती है।
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*दुराचारो ही पुरुषों लोके भवति निन्दित:। दुखभागी च सतत व्यधिलपयुरेव च।।*
सागर के बिखरे मोती
रेण पीठाधीश्वर श्री हरिनारायण जी शास्त्री
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