Sunday 8 October 2017

41 मानव समाजवादी संत तुलसीदास :

41 मानव समाजवादी संत तुलसीदास :
अनादि प्राचीन मुनियों की ' वसुधैव कुटुम्बकम' की परम्परा का अनुसरण करने वाले समाज स्रष्टा संत तुलसीदास ने आधुनिक समाज के व्यवहार को ध्यान में रखकर ही आज से लगभग चार सौ वर्ष पूर्व संदेश दिया था कि मानव मानव एक है, किसी भी सामाजिक व्यवस्था के आधार पर कोई  भी मानव उच्च अथवा नीच नही है । सभी धर्म यही कहते है कि मनुष्य मात्र परस्पर भाई भाई है , वे एक ही प्रभु की संतान होने से भिन्न कैसे हो सकते है । जाति एवं साम्प्रदाय भेद की समस्याऐ उनके समय मे चरम सीमा पर थी इसलिये तुलसी ने निगमागम सम्मत एकतत्व के विचार को अवगत कर के कहा था ।
'✍स्वपच सबर खस जमन जड़ पामर कोल किरात। रामु कहत पावन परम होत भुवन विख्यात ।।
यवन कोल किरात खश आदि निम्न व्यक्ति भी वास्तव में मानवता से भिन्न नही है । यदि कोई भिन्न माने तो भी उन्हें पावन करने के लिये एक मत से सर्ववेद शास्त्र कहते है कि
*भगवान राम के नामोच्चारण मात्र से उनमें पवित्रता आ जाती है और वे उच्च से उच्च बन जाते है✍*
अतः तुलसी के अनुयायी हम लोगों का कर्तव्य है कि वर्तमान समय मे मन वचन कर्म से सभी भेदभाव मिटाकर सबके साथ प्रेमपूर्वक मानवता का व्यवहार करें । वर्तमान परिस्थितियों में धर्म एवं देश का हित भी इसी आचरण से होगा ।
*तीन लोक को बीज है , र रो ममो दोय अंक।*
*दरिया तन मन अर्प के, पीछे होय निसंक।।*
 "सागर के बिखरे मोती" 
*✍रेण पिठाधीश्वर श्री हरिनारायण जी शास्त्री*

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