Tuesday 5 May 2020

शिकारी का हृदय परिवर्तन की घटना

अंतर्राष्ट्रीय रामस्नेही संप्रदाय के प्रवर्तक प्रधान आदि आचार्य श्री अनंत श्री दरियाव जी महाराज के जीवन की घटना
शिकारी का हृदय परिवर्तन की घटना

चेनाराम पारधी नामा, तिन सुण सुख आयो धामा।
भ्रम क्रम सांसो सब भाग्यो छोड़यो पाप राम रंग लाग्यो।।

 एक दिन दरियाव जी महाराज रेन रामसागर तालाब के पास ध्यान कर रहे थे। उस समय चेनराम नामक शिकारी एक मरे हुए हिरण को लेकर सरोवर पर जल पीने आया।
 संत दरियाव जी महाराज को देखकर उनके हृदय में दरियाव जी महाराज के प्रति श्रद्धा भाव जागृत हुआ तथा साथ ही उनके मन में विचार उत्पन्न हुआ कि दरियाव जी महाराज मरे हुए हिरण को जिंदा कर दे तो वह भविष्य में हिंसा का त्याग कर देगा । संत दरियाव जी महाराज ने शिकारी के अंतर्गत की बात जान ली और दरियाव जी महाराज ने हिरण को जिंदा कर दिया और इस चमत्कार से प्रभावित होकर शिकारी चैनराम ने हिंसा का त्याग कर संत दरियाव जी महाराज के शिष्य बन गए तथा पुष्कर के पहाड़ों में जाकर तपस्या करने लगे तथा संत दरियाव जी महाराज के शिष्य बनकर महान संत बन गए इस प्रकार संत दरियाव जी महाराज ने एक शिकारी के हृदय परिवर्तन करके भगवत भजन में लगा दिया

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