रामस्नेही संप्रदाय के प्रवर्तक प्रधान आदि आचार्य श्री अनंत श्री दरियाव जी महाराज की जीवन घटना
दिल्ली के बादशाह ने अपने दिवान मदली खान पठान को संत दरियाव जी महाराज की हत्या करने के लिए रेन भेजा किंतु संत दरियाव जी महाराज की आलोकिक व्यक्तित्व को देखकर मदली खान पठान का हृदय परिवर्तन हो गया। वह संत दरियाव जी महाराज के चरणों में गिर गया और संत दरियाव जी महाराज का शिष्य बन गया। उस समय दिल्ली का प्रशासक अहमदशाह अब्दाली था। सन् 1761 ई. में मराठों के विरुद्ध पानीपत की तीसरी युद्ध में मदली खान पठान ने भाग लिया था। मदली खान पठान जब युद्ध में घायल हो गया तब उसने गुरु संत दरियाव जी महाराज का स्मरण किया। संत दरियाव जी महाराज ने रेन मे रहते हुए अपने शिष्य मदली खान पठान को संकट में जान उनकी पीड़ा को दूर किया। अपने गुरु के नाम पर ही मदली खान पठान ने दिल्ली में 'दरियागंज' नाम से उपनगर बसाया।
मदली खान पठान, दिल्ली को दीवान जाण।
भयों भाव नीके संत , पानीपत जंग में।।
हो हो जन दरियाव, दया कर आप पधारो।
मेटो तन की पीड़ा, विपत सब दूर निवारो।।
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