Saturday 9 May 2020

जोधपुर के राजा विजय सिंह और राजा बगत सिंह द्वारा शिष्यत्व ग्रहण करना


अनंत विभूषित आदि आचार्य श्री अनंत श्री दरियाव जी महाराज के जीवन की घटना 

जोधपुर के राजा विजय सिंह और राजा बगत सिंह द्वारा शिष्यत्व ग्रहण करना

दरिया साहब सच्चे साधक और महात्मा थे। इनकी साधना और आलौकिक व्यक्तित्व की प्रशंसा सुनकर तत्कालीन मारवाड़ नरेश महाराज बगत सिंह,जो त्रिविध ताप रूपी असाध्य रोग से पीड़ित थे, संत दरियाव जी महाराज की शरण में आए और निरोग होने की प्रार्थना की थी।

तब बोले नृपराय कृपया कर भेद बताओ।
सांसों सोग संताप भरम सब दूर उड़ावो।।
बगत सिंह नरेश देश मरुधर के राजा।
जन दरिया के चरण सरण सब सरीया काजा।।

तब संत दरियाव जी महाराज ने अपने शिष्य सुखराम जी महाराज को उपदेश देने हेतु कहा-

सुखरामजी जात लवारा,जां की देषी करङी धारा।
जांत पांत को कारण नाही,राम राम कही राम समाही।
दरिया सा को हुक्म उठायो, जीब राजा कु ग्यान सुनायो।

संत दरियाव जी महाराज की कृपा से महाराजा बगत सिंह रोग मुक्त हुए। रोग मुक्त होने के बाद जोधपुर नरेश रेण जाकर संत दरियाव जी महाराज के दर्शन कर संत दरियाव जी महाराज के शिष्य बन गये।

महाराजा बगत सिंह के बाद में जोधपुर के राजा विजय सिंह हुए। उन्होंने भी संत दरियाव जी महाराज का शिष्यत्व  ग्रहण किया और संत दरियाव जी महाराज की अनुरोध पर प्रजा की लाग बाग (कर) बंद कर दिये, जिससे जनता को अपार सुख की प्राप्ति हुई।

तब राजा बिजैपाल,भेंट पूजा विसतारी।
लाग बाग सब माफ ,सही कर दीनी सारी।।

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