Saturday 16 May 2015

दरियाव जी महाराज की दिव्य वाणी जी

हाथ काम मुख राम है, हिरदे साची प्रीत ।
जन दरिया गृही साध की, याहि उत्तम रीत ।।
आचार्य श्री गृहस्थीयो के लिए बहुत ही सुंदर बात कह रहे है की
आपको भगवा वेश धारण करके  घर बार छोड़कर वन में जाने की
आवश्यकता नहीं है क्योंकि घर में रहते हुए भी कल्याण संभव है । तुम
" हाथों से कर्म करते रहो तथा मुख से राम-राम काते रहो और
अनुकुलता-प्रतिकूलता दोनों के प्रति समभाव रखकर अपना कर्तव्ये कर्म
करते रहो तो सहज ही मुक्ति हो जाएगी ।

No comments:

Post a Comment