Tuesday 12 May 2015

राम नाम की महिमा

एक बार राम नाम के प्रभाव से कबीर पुत्र कमाल द्वारा एक कोढ़ी का कोढ़ दूर हो गया। कमाल को गरूर हो गया कि वह रामनाम की महिमा को जान गया है। कबीर जी को अपने बेटे के इस व्यवहार से बहुत दुख हुआ। उन्होंने कमाल का गरूर उतारने के लिए उसे तुलसीदास जी के पास भेजा।
तुलसीदास जी ने तुलसी के पत्र पर राम नाम लिखकर वह पत्र जल में डाला और उस जल से 500 कोढ़ियों को ठीक कर दिया। कमाल समझ गया कि तुलसी पत्र पर एक बार राम नाम लिखकर उसके जल से 500 कोढ़ियों को ठीक किया जा सकता है। रामनाम की इतनी महिमा है। जब वह घर लौटा तो कबीर जी संतुष्ट नहीं हुए और उन्होंने कमाल को भेजा सूरदास जी के पास।
सूरदास जी ने गंगा में बहते हुए एक शव के कान में 'राम' शब्द का केवल 'र' कार कहा और शव जीवित हो गया। तब कमाल ने सोचा कि 'राम' शब्द के 'र' कार से मुर्दा जीवित हो सकता है – यह 'राम' शब्द की महिमा है। इस वृतांत के उपरांत कमाल का गरूर उतर गया और उसने जाकर अपने पिता से क्षमा मांगी तब कबीर जी ने कहाः
'यह भी नहीं। इतनी सी महिमा नहीं है 'राम' शब्द की।
भृकुटि विलास सृष्टि लय होई।
जिसके भृकुटि विलास मात्र से प्रलय हो सकता है, उसके नाम की महिमा का वर्णन तुम क्या कर सकोगे?

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