आचार्य श्री कहते है कि बातों ही बातों में ये दिनरात जा रहे हैं
तथा शरीर की अवधि पूरी होनेवाली है । अत: यदि भजन नहीं किया
तो बाते करने में ही सारा जीवन बरबाद हो जाएगा । बातूने व्यक्ति से
तो वह आलसी व्यक्ति अच्छा है जो मौन बैठा रहता है तथा कुछ भी
नहीं करता है । क्योंकि वह पाप तो नहीं करता है । निन्दक व्यक्ति तो
दूसरों की निन्दा करके उनके पापों को धोकर स्वयं पीता है । आज आप
भजन करने बैठते हो तो आपको एक घंटा भी चौबीस घंटे के बराबर
लगने लगता है । मन में ऐसी अटपटी भी होती है कि कब समय पुरा
होगा ? परंतु बाते करते हुए सारी रात बीत जाए तो आपको नीन्दे भी
नहीं आएगी क्यों कि बातों में बडा मजा आता है । इस प्रकार से इन
सांसारिक व्यर्थ की बातों में बडा मजा आता है । इस प्रकार से इन
सांसारिक व्यर्थ की बातो में हमारी जिदंगी बहुत बरबाद हो रही है।
तथा शरीर की अवधि पूरी होनेवाली है । अत: यदि भजन नहीं किया
तो बाते करने में ही सारा जीवन बरबाद हो जाएगा । बातूने व्यक्ति से
तो वह आलसी व्यक्ति अच्छा है जो मौन बैठा रहता है तथा कुछ भी
नहीं करता है । क्योंकि वह पाप तो नहीं करता है । निन्दक व्यक्ति तो
दूसरों की निन्दा करके उनके पापों को धोकर स्वयं पीता है । आज आप
भजन करने बैठते हो तो आपको एक घंटा भी चौबीस घंटे के बराबर
लगने लगता है । मन में ऐसी अटपटी भी होती है कि कब समय पुरा
होगा ? परंतु बाते करते हुए सारी रात बीत जाए तो आपको नीन्दे भी
नहीं आएगी क्यों कि बातों में बडा मजा आता है । इस प्रकार से इन
सांसारिक व्यर्थ की बातों में बडा मजा आता है । इस प्रकार से इन
सांसारिक व्यर्थ की बातो में हमारी जिदंगी बहुत बरबाद हो रही है।
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