आंतरिक शत्रुओ को जितना ही शूरवीरता है
संसार में सबसे बड़ी समस्या जन्म -
मृत्यु की है । यह प्रक्रिया आध्यात्मिक पथ पर
सबसे बड़ा अवरोध है । शास्त्रो में जन्म-मृत्यु रुपी
अवरोधों को हटाने की प्रक्रिया बताईं गई है।
शास्त्रों का ज्ञान ओर गुरुजनों की आज्ञा सर्वोपरि
है । इनके प्रति आस्था रखने पर ही व्यक्ति
परमात्मा के साथ जुड़ने का पुण्य प्राप्त करता है ।
व्यक्ति को स्वयं की बुरी आदतों से घृणा करनी
चाहिए । अपने बुरे लक्ष्णों को लड़कर भगा देना
सच्ची आध्यात्मिक शूरवीरता है ।
मृत्यु की है । यह प्रक्रिया आध्यात्मिक पथ पर
सबसे बड़ा अवरोध है । शास्त्रो में जन्म-मृत्यु रुपी
अवरोधों को हटाने की प्रक्रिया बताईं गई है।
शास्त्रों का ज्ञान ओर गुरुजनों की आज्ञा सर्वोपरि
है । इनके प्रति आस्था रखने पर ही व्यक्ति
परमात्मा के साथ जुड़ने का पुण्य प्राप्त करता है ।
व्यक्ति को स्वयं की बुरी आदतों से घृणा करनी
चाहिए । अपने बुरे लक्ष्णों को लड़कर भगा देना
सच्ची आध्यात्मिक शूरवीरता है ।
आध्यात्मिक पथ पर चलना कठिन
नहीं है, इसके लिए हमारे मन में दृढ़ निश्चय
और लगन का होना आवश्यक है । मनुष्य मूल्य
देकर तम्बाकू,गुटका,शराब और भांग आदि दुर्व्यसनों को
खरीदता है। काम, क्रोध ,मोह ,माया, ममता ये सभी
हमारे आंतरिक दुश्मन है।जबकि राम नाम का
कोई मूल्य नही। इसके स्मरण से मुक्ति मिलती है।
फिर भी राम नाम के ग्राहक कम है।
नहीं है, इसके लिए हमारे मन में दृढ़ निश्चय
और लगन का होना आवश्यक है । मनुष्य मूल्य
देकर तम्बाकू,गुटका,शराब और भांग आदि दुर्व्यसनों को
खरीदता है। काम, क्रोध ,मोह ,माया, ममता ये सभी
हमारे आंतरिक दुश्मन है।जबकि राम नाम का
कोई मूल्य नही। इसके स्मरण से मुक्ति मिलती है।
फिर भी राम नाम के ग्राहक कम है।
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