परमात्मा प्राप्ति हेतु शूरवीर होना जरूरी।
जीवन में लक्ष्य प्राप्ति हेतु व्यक्ति का
शूरवीर होना अतिआवश्यक से । भक्ति पथ पर भी
उस परम लक्ष्य 'परमात्मा' की प्राप्ति हेतु
शूरवीरता का होना परम आवश्यक है। इस
संसार में विद्वान,ज्ञानी ,ध्यानी सब तरह के लोग
हैं,लेकिन भगवत् भक्ति करने वाले कम ही मिलेंगे ।
सच्चा शुर ही शत्रु के सम्मुख रहकर
उसके बाणों के प्रहारों को सहन कर सकता हे ।
इसी प्रकार सदूगुरु के शब्द रुपी बाण के प्रहार
को केवल सच्चा भक्त ही सहन कर सकता है ।
गुरु के शब्द रुपी बाण से ह्रदय पर प्रभाव होने से
ही सब अवगुणों को दूर किया जा सकता है ।
व्यक्ति का अन्तःकरण कोरे कागज की भांति होता
है, लेकिन अन्तःकरण वासनाओ से भर जाने के
कारण और कुछ लिख पाना असम्भव हो जाता
है। शिष्य को गुरु के समक्ष कोरा कागज बनकर
उपस्थित होना चाहिये।
शूरवीर होना अतिआवश्यक से । भक्ति पथ पर भी
उस परम लक्ष्य 'परमात्मा' की प्राप्ति हेतु
शूरवीरता का होना परम आवश्यक है। इस
संसार में विद्वान,ज्ञानी ,ध्यानी सब तरह के लोग
हैं,लेकिन भगवत् भक्ति करने वाले कम ही मिलेंगे ।
सच्चा शुर ही शत्रु के सम्मुख रहकर
उसके बाणों के प्रहारों को सहन कर सकता हे ।
इसी प्रकार सदूगुरु के शब्द रुपी बाण के प्रहार
को केवल सच्चा भक्त ही सहन कर सकता है ।
गुरु के शब्द रुपी बाण से ह्रदय पर प्रभाव होने से
ही सब अवगुणों को दूर किया जा सकता है ।
व्यक्ति का अन्तःकरण कोरे कागज की भांति होता
है, लेकिन अन्तःकरण वासनाओ से भर जाने के
कारण और कुछ लिख पाना असम्भव हो जाता
है। शिष्य को गुरु के समक्ष कोरा कागज बनकर
उपस्थित होना चाहिये।
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