Tuesday 2 February 2016

हम ईश्वर के ऋणी है

हम ईश्वर के ऋणी है
ईश्वर ने हमें मानव शरीर दिया है,
इसलिए हम ईश्वर के कर्जदार हैं । मनुष्य अपनी
आत्मा परमात्मा को समर्पित कर इस कर्ज को
चुकाएँ । इसलिए ईश्वर तक पहुंच रखने वाले
महापुरुषों की संगति करनी चाहिए। हमारा देश
आध्यात्मिक दृष्टि से सुसमृद्ध राष्ट्र है । अनेक
विदेशी हमलावर शासकों ने भारतीय आध्यात्मिकता
को चोट पहुंचाई ,लेकिन महापुरुषों ने इसे बचाया
है । ईश्वर से साक्षात्कार करना कोई कहानी या
घटना नहीं कहलाती वह तो दिव्य सम्बन्ध होता
है । इसी दिव्य सम्बन्थ से दिव्य आनन्द की प्राप्ति
होती है ।
मन भी अपना-पराया होता से । व्यक्ति
को पाप कर्मों से रोकने वाला मन निज मन तथा
अपराध के लिए प्रेरित करने वाला मन पराया मन
कहलाता है । मन गोपनीय है, इसलिए वह
ताकतवर भी है। परमात्मा भी गोपनीय है,इसलिए
वह दिव्यमान,वर्तमान और सर्वशक्तिमान है ।

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