Tuesday 2 February 2016

ब्रह्म दृष्टि से संभव है रामदर्शन

ब्रह्म दृष्टि से संभव है रामदर्शन
मानव शरीर "कायानगर" है । शरीर मैं
भी कई शहर ,कस्बे,गाँव बसे हुए हैं । पंचभूतों से
निर्मित्त शरीर में पंचभूतो को वश में करने के लिए
राम नाम जाप की अावश्यकता है । ब्रह्म दृष्टि के
अभाव में चलता -फिरता मनुष्य भी अंधे के
समान है। ब्रह्म दृष्टि से ही राम को देखा जा
सकता है । मनुष्य के शरीर के भीतर बसी दुनिया
को वह शराब,पान,तम्बाकू , गुटखे आदि का सेवन
कर उसे प्रदूषित कर रहा है । इसी भांति
राग-द्वेष,वैर-विरोध,तनाव,ईर्ष्या आदि भावनात्मक
प्रदूषण के कारण शरीर अनेक रोगों से जकड़
रहा है । जिस प्रकार अपराधी की अपील पर
राष्ट्रपति चाहे तो उसका अपराध क्षमा कर सकते
हैं उसी प्रकार राम नाम का निरन्तर स्मरण करने
पर रामजी भी प्रसन्न होकर व्यक्ति के सारे
पाप-अपराध क्षमा कर सकते हैं । व्यक्ति को ध्यान
रखना चाहिए कि वह खाली हाथ अाता है और
खाली हाथ ही जाता है ।

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