Tuesday 2 February 2016

।।गर्भ काल से ही शुरू होते है संस्कार।।

।।गर्भ काल से ही शुरू होते है संस्कार।।
व्यक्ति के जीवन में संस्कारों का प्रादुर्भाव
जन्म से पहले गर्भकाल से ही शुरु हो जाता है।
माता की आध्यात्मिकता का प्रभाव गर्भस्त शिशु
पर पड़ता है । इसलिए गर्भकाल में माताओं को
भागवत कथा श्रवण करना चाहिए। परमवीर
अभिमन्यु,भक्त प्रहलाद आदि को गर्भ काल में ही
धार्मिक संस्कार मिले थे । ऐसे बालक मात्ता-पिता
के आध्यात्मिक संस्कारो से ओत्त-प्रोत होते हैं ।
बालक में जन्म के बाद ही ज्ञान की वृद्धि होती हे ।
संस्कारवान व्यक्ति ही नर से नारायण बन
सकता है । संसार में रहना और जीने-मरने की
कला को सीखना चाहिए । इसीसे अगला जन्म
सुखद हो सकेगा । इसलिये आँखों देखि बात पर
ही विश्वास करना चाहिये।जब तक हम परमात्मा
के विषय में केवल सुनते रहते है तब तक संसार को
सत्य मानते है और जब सत्य स्वरूप परमात्मा का
साक्षात्कार कर लेते है तो संसार असत्य लगने
लगता है।

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