Wednesday 26 July 2017

2. ईश्वर स्मरण करना ही पूणता को प्राप्त करना ह

2. ईश्वर स्मरण करना ही पूणता को प्राप्त करना है:
इस लोक में मनुष्य का वही जन्म,वही कर्म,वही वाणी और वही मन सफल है जिसके द्वारा ईश्वर स्मरण किया जाय। जिनके द्वारा अपने स्वरूप की प्राप्ति करने वाले श्री हरि को प्राप्त न किया जाय तो देवताओं के समान लम्बी आयु से,शास्त्र ज्ञान से, तप से,वाणी को चतुराई से अनेक प्रकार की बातें याद रखने से एवं इंद्रियों की पटुता से भी मानव जीवन को क्या लाभ ? जिस प्रकार वृक्ष की जड़ो को सींचने से तना, शाखा,उप शाखा आदि सभी का पोषण हो ता है उसी प्रकार ईश्वर भजन से सारे गुण आ जाते है। अतः ईश्वर स्मरण करना ही पूर्णता को प्राप्त करना है।
दरिया नर तन पाय कर,
किया न राम उचार।
बोझ उतारन आइया,
सो ले चले सिर भार।।
लख चौरासी भुगत कर,
मानुष देह पाई।
राम नाम ध्याया नही,
तो चौरासी आई।।
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