7.नाद ब्रह्म मोक्ष प्राप्ति मे हेतु
नाद ब्रह्म की उपासना मोक्ष प्राप्ति का साधन है । राम नाम का ध्यान योग सहित निरंतर जाप करने से वह अन्तश्चेतना में प्रगट होकर शरीर के भीतर अलौकिक प्रकाश आनन्दरूप में अवतरित (प्रकट) होता है । नाद(आवाज) सर्वव्यापक है । जैसे घर्षण से अग्नि,दधि मंथन से घी प्रकट होता है वैसे ही शवासोश्वास राम नाम जाप से नाद ब्रह्म का प्राकट्य होता है,जैसे-हृदय में नाद (राम शब्द का उच्चारण) प्रेम ज्ञान प्रकाश उत्पन्न करके साधक को आत्मानन्द का अनिर्वचनीय सुख प्रदान करता है नाभि स्थान में, जहाँ सम्पूर्ण शरीर की नाड़ियों का केंद्र बिंदु है, नाद (राम) ध्वनि में अलौकिक आलाप उत्पन्न करके सम्पूर्ण शरीर मे अजपाजाप का आत्मानुभूति-आनन्द अनुभव करता है एवं सही नाद क्रमश:रोम रोम में विचरण करता हुआ साधक को सदा सदा के लिये अजपाजाप में स्थायित्व प्रदान करता है। इस प्रकार यही नाद साधक को इहलोक में अखण्ड सुख तथा परलोक में मोक्ष लाभ की प्राप्ति करवाता है।
नाभि कंवल के भीतर,भंवर करत गुंजार ।
रूप न रेख न वरन है,ऐसा अगम अपार ।।
रूप न रेख न वरन है,ऐसा अगम अपार ।।
दरिया नाद प्रकासिया,किया निरंतर बास ।
पार ब्रह्म परसा सही,जह दरसन पावे दास ।।
पार ब्रह्म परसा सही,जह दरसन पावे दास ।।
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