Tuesday 14 November 2017

45. आनंद आत्मा में ही है

45. आनंद आत्मा में ही है

सांसारिक विषयो में आनंद नही है किन्तु अंतःकरण में आत्मा का प्रतिबिम्ब पड़ने से, आनंद सा प्रतीत होता है । जगत के क्षणिक विषयो में जब तक मन फ़सा हुआ है । तब तक वास्तविक सच्चे आनंद की प्राप्ति नही होगी। लौकिक असत वासना से मन बिगड़ता है। वासना का नाश सत्संग,नाम जप से ही संभव है । मन को स्थिर करने के लिये राम नाम जप करते हुये महापुरूषो का संग करना चाहिए। जप व सत्संग से मन की मलिनता और चंचलता दूर होती है । अज्ञानी मानव विषयो में आनंद ढूंढता है जबकि आनंद आत्मा में ही है।

*जन दरिया गुरुदेव जी सब विधि दई बताय। जो चाहो निज धाम को सांसों उसांसो धयाय।।*

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🌸 *सागर के बिखरे मोती 🌸*
   *रेण पीठाधीश्वर श्री हरिनारायण जी शास्त्री*

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