Tuesday 14 November 2017

46. जीव ईश्वर से अलग नही है:

46. जीव ईश्वर से अलग नही है:

जीव ईश्वर का ही एक भाग है जिस तरह कोई प्राण अपने शरीर के अंगों को शरीर से अलग नही मानता उसी तरह ईश्वर के सभी जीव अंग होने से अलग नही है अतः प्राणी मात्र को ईश्वर का परिवार मानकर सबसे प्रेम करना चाहिए। मनुष्य को परमात्मा से अलग मानने वाला भगवान का भगत नही हो सकता। ईश्वर अंशी तथा जीव अंश है अतः ऊंच नीच,छोटा बड़ा तथा जाति धर्म के नाम पर विभाजन और अलगाव की धारणाए मिथ्या है आज के वैज्ञानिक युग मे मानव भौतिक दासता में अबर्द्ध होता जा रहा है और दानवता पूर्ण व्यवहार करता हुआ भयंकर मोह माया के पाश में आबद्ध होकर मृत्यु के मुख में जाने को तैयार है जबकि भगवान मानव मात्र को परम सुखी व अजर अमर बनाने के लिए अनादि काल से सन्देश देते रहे है।

*बूंद के माही समुंद समाना, राई में पर्वत डोले।चींटी माही हस्ती बैठा, घट में अघटा बोले।।*

स्पष्ट है कि इस पद में समुन्द्र ,पर्वत,हस्ती एवं अशरीरी शब्द "ईश्वर" के विराट रूप को प्रगट कर रहे है तथा बूँद, राई पिपीलिका और शरीर जीव के रूप को प्रगट कर रहे है।

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🌸सागर के बिखरे मोती🌸
रेण पीठाधीश्वर "श्री हरिनारायण जी शास्त्री"

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