Tuesday 14 November 2017

47. हिन्दू धर्म को आत्मसात करना ही नैतिक दायित्व:

47. हिन्दू धर्म को आत्मसात करना ही नैतिक दायित्व:

हिन्दू धर्म विश्व का श्रेष्ठ एवं महान धर्म है । इसके उदात्त गुणों को आत्मसात करते हुए ही अपना जीवन व्यतीत करना देश के प्रत्येक हिन्दू का नैतिक दायित्व है। हिन्दू धर्म व संस्कृति की श्रेष्ठता के आधार पर ही देश का नाम हिंदुस्थान पड़ा ।यहाँ की धर्म निष्ठ जनता के कारण ही विश्व इतिहास में हिंदुस्थान का नाम स्वर्णाक्षरों में अंकित है। दीनदुखियों की सेवा व परोपकार से मानव जीवन सफल होता है। किसी को धोखा देना व किसी की आत्मा को कष्ट पहुचना सबसे बड़ा पाप व अधर्म है । मनुष्य को ,काम,क्रोध,लोभ,मोह, अभिमान ,निंदा और स्वार्थ को त्यागकर पूर्ण धार्मिक जीवन व्यतीत करना चाहिए। इनके परित्याग से हृदय नितान्त व निर्मल होता है और चित्त में अलौकिक शांति व शुद्धता उत्पन्न होती है ।

*राम बिना तो ठौर नही रे, जह जावे तह काल।जन दरिया मन उलट जगत सु अपना राम सम्भाल।।*

रेण पीठाधीश्वर "श्री हरिनारायण जी शास्त्री"

🌸"सागर के बिखरे मोती"🌸

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