Tuesday 14 November 2017

52. दूसरो को मारने वाला कायर व पापी

52. दूसरो को मारने वाला कायर व पापी

✍आज के सम्प्रदायवाद ,आतंकवाद, व राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में रत लोगों से लोहा लेकर राष्ट्र निर्माण , एकता व भाईचारे को बढ़ाना ही राष्ट्र की महती सेवा है जिसके लिये सभी को दृढ़ता से कार्य करना होगा । राष्ट्र सर्वोपरि है । भारत मे रहने वाले विभिन्न मतावलम्बी पहले भरतीय है लेकिन कुछ विनाशकारी तत्व देश व समाज को कमजोर करने में लगे हुए है । इन राष्ट्र विरोधी तत्वों का मुकाबला हमें संगठित होकर करना है ।
    गाय हमारी माता है  " गावः विश्वस्य मातरः"  इसीलिये किसी न किसी रूप में गायों की सेवा करनी चाहिए । इससे बड़ा कोई पुण्य नही है । जो व्यक्ति निज स्वर्थो के लिये दूसरो का अहित करता है , दूसरो को मारता है वही कायर व पापी है लेकिन अन्यो का हित साधक व्यक्ति ही सबकी दृष्टि में पूजनीय है ।

*अधेव वा मरनमस्तु युगांतरें वा, न्यायतपथ प्रवचलन्ति पद न धीरा*

रेण पीठाधीश्वर "श्री हरिनारायण जी शास्त्री"
           *कर्त*
🌸सागर के बिखरे मोती🌸

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