Friday 10 November 2017

43. दुखियों को सुख देना ही सर्वोत्तम धर्म है

43. दुखियों को सुख देना ही सर्वोत्तम धर्म है
✍आज देश व विश्व की परिस्थितियों को देखते हुए देश की अखंडता की रक्षा करना ही सच्चा धर्म है। आज भारत मे धर्म ,जाति, सम्प्रदाय,भाषा एवं प्रान्तीयता की विघटनकारी संकीर्ण भावनाएं बढ़ती जा रही है जिनके कारण एकता व मानवीय तत्व स्नहे सद्भाव नष्ट हो रहे है । देश की व मनावता की पुकार प्रत्येक देशवासी के हृदय में तन मन धन वचन से एक दूसरे की सहायता करने और संगठित रहने की प्रेरणा देती है कोई भी धर्म हिंसा करने की शिक्षा नही देता है ।
धर्म तो सबकी सब प्रकार से रक्षा करने का ही आदेश देता है । धर्म निरपेक्ष का तातपर्य यही है कि सभी धर्मों का समन्वय करके किसी भी धर्म की निंदा न करते हुए दीनदुखियों को सुख देने ही सर्वोत्तम धर्म है ।
दुखया जनि कोई दुखिये,दुखिये अति दुख होय।
दुखया रोय पुकार है , सब गुड़ माटी होय।।
"सागर के बिखरे मोती"
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रेण पीठाधीश्वर "श्री हरिनारायण जी शास्त्री"
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