Tuesday, 14 November 2017

51.दूसरो का सम्मान करने वाला ही बड़ा होता है:

51.दूसरो का सम्मान करने वाला ही बड़ा होता है:

अनादि काल से जीव स्वयं को बड़ा मानता है लेकिन वह यह नही सोचता की वह बड़ा कैसे हो सकता है ? जब हमने किसी को बड़ा नही बनाया तो हम स्वयं बड़े कैसे हो सकते है ? प्रभु स्वयं भी स्वयं की प्रभुता से दूर रहते है इसीलिए हमे अहम भाव से रहित होकर जगत्स्वरूप ईश्वर को सम्मान देकर तन मन वचन से निष्काम सेवा करने वाला होना चाहिए।
भागवत में एक बड़ा रोचक व प्रभावशाली प्रसंग आता है कि त्रिदेवों की पत्नियों ने सती अनुसूया को नीचा दिखाने,उसका व्रत खंडित करने के लिये अपने पतियों को उसके पास भेजा। सती अनुसुया को नीचा दिखाना तो दुर रहा उन्हें ही ( तीनो देवो को) छोटा बालक बनना पड़ा । इसलिए कभी किसी को किसी भी प्रकार से छोटा (नीचा दिखना) दिखने की भावना मन मे न रखो ।

*रेण पीठाधीश्वर "श्री हरिनारायण जी शास्री"*
             *कर्त*
✍ *"सागर के बिखरे मोती"*

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