Tuesday 14 November 2017

54.सांसारिक भोग विलास की चीजें अस्थायी व क्षणिक:

54.सांसारिक भोग विलास की चीजें अस्थायी व क्षणिक:

महापुरूषो के सम्पर्क में आने से ही मानव जीवन आदर्शमय बन सकता है लेकिन महापुरूषो की संगति के अभाव में ही आज मनुष्य परमात्मा से काफी दूर होता चला जा रहा है ।
           *ये दूरी केवल सतगुरु की कृपा दृष्टि से ही मिट सकती है ।*
आज का मानव भौतिक सुख सुविधाओं की प्राप्ति के लिये बेतहाशा भाग रहा है । तथा उन्ही में सच्चा व वास्तविक आनन्द खोज रहा है । यही उसकी बहुत बड़ी भूल व गलतफयमी है , क्योकि सांसारिक भोग विलाश कु चीजे अस्थाई सर्वथा क्षणिक आनन्द पहुचाने वाली है तथा इनसे व्यक्ति पर वासना का नशा छाने लगता है । जिससे उसका जीवन बेकार व निरर्थक बनता चला जाता है । यह सब मन की चंचलता का ही दुष्परिणाम है ।

*✍रेण पीठाधीश्वर "श्री हरिनारायण जी शास्त्री",,,,,कर्त,,,,"सागर के बिखरे मोती"*

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