Tuesday, 12 August 2025

दरिया गुरु गरूवा मिला ।। श्री दरियाव वाणी


दरिया गुरु गरूवा मिला, कर्म किया सब रद्द ।
झूठा भर्म छुड़ाय कर, पकड़ाया सत शब्द।। 


❖ शब्दार्थ:

  • गुरु गरूवा = महान सतगुरु, आध्यात्मिक मार्गदर्शक
  • कर्म किया सब रद्द = संचित व प्रलंबित कर्मों को निष्फल कर दिया
  • झूठा भर्म = असत्य विचार, माया का भ्रम
  • छुड़ाय कर = छुड़ाकर, मुक्त करके
  • सत शब्द = सच्चा नाम, राम नाम, परम सत्य का मंत्र

❖ भावार्थ:

संत दरियावजी कहते हैं कि जब मुझे महान सतगुरु मिले, तो उन्होंने मेरे कर्म बंधनों को समाप्त कर दिया।
उन्होंने मुझे माया और असत्य के भ्रम से मुक्त किया और राम का नाम — ‘सत शब्द’ का आश्रय दिया।
जब साधक दुनिया को असत्य समझकर सत नाम का सहारा लेता है, तब वह सच्चे सुख और शांति को प्राप्त कर लेता है।


❖ व्याख्या:

यह दोहा गुरु की कृपा और सत शब्द की महिमा को दर्शाता है।

  • गुरु गरूवा शब्द यहाँ विशेष महत्व रखता है — यह केवल सामान्य गुरु नहीं, बल्कि वह महान सतगुरु हैं जो आत्मा को परम सत्य तक पहुँचा देते हैं।
  • जब गुरु मिलते हैं, तो उनके ज्ञान और कृपा से हमारे कर्म बंधन (संचित, प्रारब्ध, और क्रियमान) का प्रभाव नष्ट होने लगता है।
  • संसार में जो हम देखते हैं — धन, मान, पद, संबंध — वह सब क्षणभंगुर है; इसे भ्रम कहा गया है।
  • गुरु इस झूठे भ्रम से हमें बाहर निकालते हैं और हमें सत शब्द (राम नाम) प्रदान कर देते हैं, जो जन्म-मरण के चक्र से मुक्त करने वाला है।
  • ‘सत शब्द’ यहाँ केवल उच्चारण नहीं, बल्कि वह दिव्य अनुभूति है जो आत्मा को स्थायी सुख में स्थापित करती है।

❖ टिप्पणी:

यह वाणी एक गहरा सत्य सिखाती है:
👉 गुरु के बिना ‘सत शब्द’ की पहचान नहीं हो सकती।
👉 संसार के भ्रम को असत्य समझना ही मुक्ति की शुरुआत है।
👉 राम का नाम ही वह सच्चा सहारा है, जो न जन्म में छूटता है और न मृत्यु में।

यह दोहा हमें याद दिलाता है कि जीवन का सबसे बड़ा सौभाग्य है — सतगुरु मिलना और सत शब्द का आश्रय पाना


No comments:

Post a Comment