दरिया गुरु पूरा मिला, नाम दिखाया नूर ।
निसा गई सुख ऊपजा , किया निसाना दूर ॥
❖ शब्दार्थ
- गुरु पूरा मिला = सिद्ध गुरु, सच्चे ज्ञानी सतगुरु का मिलना
- नाम दिखाया नूर = नाम का प्रकाश दिखाया, हरि-नाम से आत्मा प्रकाशित हुई
- निसा गई = अज्ञान की रात्रि समाप्त हुई
- सुख ऊपजा = अंतर में आनंद, शांति और संतोष उत्पन्न हुआ
- निसाना दूर = लक्ष्य स्पष्ट हुआ, भटकाव और मोह दूर हुए
❖ भावार्थ
महाराजश्री दरियावजी कहते हैं कि जब मुझे सच्चे और पूरे सतगुरु मिले, तब उन्होंने हरि-नाम का ऐसा नूर (प्रकाश) दिखाया कि मेरे अज्ञान रूपी अंधकार की रात समाप्त हो गई।
उस क्षण हृदय में सुख और शांति उत्पन्न हुई, और जीवन का वास्तविक लक्ष्य स्पष्ट हो गया, सारी भटकन मिट गई।
❖ व्याख्या
- सच्चे गुरु का मिलना: संसार में अनेक मार्ग हैं, परंतु केवल "पूरा सतगुरु" ही सही दिशा दिखा सकता है। उनका मार्गदर्शन साधक को भ्रम और अज्ञान से निकालकर सत्य की ओर ले जाता है।
- नाम का नूर: हरि-नाम केवल शब्द नहीं है, बल्कि एक दिव्य प्रकाश है जो आत्मा को प्रकाशित करता है और उसे परमात्मा से जोड़ता है।
- अज्ञान की रात्रि का अंत: गुरु-उपदेश से साधक के भीतर का अंधकार (संदेह, मोह, असत्य) समाप्त हो जाता है।
- सुख और शांति: जब हृदय में नाम-नूर प्रकट होता है, तो साधक आत्मिक आनंद और स्थिर शांति का अनुभव करता है।
- लक्ष्य का स्पष्ट होना: गुरु की कृपा से साधक जान लेता है कि जीवन का सच्चा ध्येय ईश्वर-प्राप्ति है, और वह भटकाव से मुक्त होकर उस दिशा में बढ़ने लगता है।
❖ टिप्पणी
यह दोहा हमें सिखाता है कि —
- केवल सच्चा और सिद्ध गुरु ही जीवन के अंधकार को दूर कर सकता है।
- हरि-नाम आत्मा का दीपक है, जो भीतर ज्ञान और सुख का प्रकाश फैलाता है।
- जब अज्ञान मिट जाता है तो जीवन का लक्ष्य (ईश्वर-प्राप्ति) साधक के सामने स्पष्ट हो जाता है।
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