दरिया मिरतक देख कर, सतगुरु कीनि रींझ ।
नाम संजीवन मोहिं दिया, तीन लोक को बीज।।
❖ शब्दार्थ:
- मिरतक = मृतक, आध्यात्मिक दृष्टि से मृत (जिसमें भक्ति, ज्ञान, सत्संग का जीवन न हो)
- सतगुरु = परम गुरु, जो सत्य का अनुभव कराएँ
- रींझ = रीझना, प्रसन्न होकर कृपा करना, दया का भाव
- नाम संजीवन = सत नाम, वह नाम जो आत्मा को जीवित करता है, अमरत्व देने वाला
- तीन लोक = भू लोक, भुवर लोक, स्वर्ग लोक (संसार के तीन स्तर)
- बीज = मूल कारण, जीवन का सार, मोक्ष का आधार
❖ भावार्थ:
संत दरियावजी कहते हैं कि जब गुरु ने मुझे आध्यात्मिक रूप से मृत देखा, तो वे मुझ पर रीझकर प्रसन्न हुए।
उन्होंने मुझे राम नाम की संजीवनी दी — जो मेरी आत्मा को पुनः जीवित कर दे।
यह नाम इतना प्रभावशाली है कि वह तीनों लोकों का सार और मूल बीज है, जिससे सबका पालन-पोषण होता है और जो मुक्ति का द्वार खोलता है।
❖ व्याख्या:
- मिरतक देख कर का अर्थ है — वह साधक जो अज्ञान, लोभ, मोह और माया में इतना डूबा हो कि उसका आत्मिक जीवन समाप्त हो गया हो।
- सतगुरु का हृदय करुणा से भर जाता है और वे बिना पात्रता देखे भी कृपा कर देते हैं — इसे रींझना कहा गया है।
- राम नाम संजीवन यहाँ केवल एक मंत्र नहीं, बल्कि वह दिव्य शक्ति है जो आत्मा को पुनः उसकी मूल चेतना में जाग्रत कर देती है।
- तीन लोक का बीज का अर्थ है — यह नाम ब्रह्मांड का मूल तत्व है। इससे ही सबका उत्पत्ति, पालन और संहार होता है।
- राम नाम को ग्रहण कर लेने वाला साधक मृत्यु, जन्म और संसार के चक्र से ऊपर उठ जाता है।
❖ टिप्पणी:
यह दोहा हमें बताता है:
👉 गुरु की कृपा पात्रता से नहीं, प्रेम से मिलती है।
👉 राम नाम केवल सांसारिक सुख का साधन नहीं, बल्कि संपूर्ण सृष्टि का मूल बीज है।
👉 आध्यात्मिक रूप से मृत व्यक्ति भी गुरु कृपा से पुनः जीवित हो सकता है।
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