अथ मदुचंदजी को प्रसंग
इस प्रसंग में आचार्य महाप्रभु दरियावजी महाराज द्वारा दिल्ली निवासी नगर सेठ श्रावक (जैन) शिष्य मधुचंद को जमुना जल में डूबते हुए की रक्षा करना। अतः इसी गुरुभक्त सेठ द्वारा सतगुरु के नाम से दिल्ली के एक मुहल्ले को दरियागंज नाम से अलंकृत करना।
मधु सेठ सरावगी, रहतो दिल्ली मंजार ।
प्रात समे असमान को, लीयो नेम निरधार ॥
काल्या धेह के माहीं, धस्यो जल के माहीं आगो।
हुणहार की बात, आप डुबण ने लागो ॥
करणां करी पुकार, दास दरियाव उबारो ।
मो अबला की लाज राखज्यो बिड़द तुमारो ॥
धरयो रूप भगवान, दास दरिया को भारी ।
करी सहाय ततकाल, इस्या है देव मुरारी ॥
भगत काज महाराज, साहे एसी विध कीनी ।
करण हार करतार, दास कुं सोभा दीनी ॥
दोहा
कलु काल परचो भयो, जाणे जग संसार ।
जन दरिया परताप ते, तिरायो साहुकार ॥
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