अथ समाद को प्रसंग
इस प्रसंग में दरिया महाप्रभु के सुरत शब्द योग से समाधि लगना शरीर जड़वत् होना निश्चेष्ट शरीर को देखकर शिष्यों को चिन्ता होना व जैन मन्दिर में जाकर महावीर भगवान् की समाधियुक्त मूर्त को देखकर धैर्यधारण करना समाधि-विराम के बाद दरिया महाप्रभु द्वारा शिष्यों को ध्यान योग कृपा चमत्कार बताना।
पहल प्रथम दरियाव, आप समाद लगाइ ।
बई नग्र में बात, दुनी सब देखण आई ॥
सोच करे नर नार, और षड दर्शन उभा ।
पड़ी हाक बाजार, भया एक बड़ा अचंभा ॥
रामस्नेही जके सभा सब संगत बैठी।
सुणी न कानां बात, नई कोई आंख्या दिठी ॥
या गत लषी न जाई, करे इचरज जो सारा।
हंस गयो हर पास, पिये इमृत रस धारा ॥
बधी कला करतूत, देह को नूर सवायो ।
सरद पुन्यूं की रात, चंद ज्यूं निरमल थायो ॥
खुल्या कँवल ज्यूं नेण, साम रेखा सब न्हासत ।
शुक्ल वरण चष रूप, तेज उडगण ज्यूं भ्यासत ॥
नष चष यह सेनाण, तुचा सो वरण विराजे।
ता घट लोही न मांस, प्राण सुन सेवा साजे ॥
आसण वजर विग्यान, धुन धू ज्यूं धारयो ।
कुशालचंद कुशवगत, उगत कर अर्थ विचारयो ।
अग्याकार इदकार बीरबल, अकल उपाई।
गया दोड़ ततकाल, ज्यांन का मन्दिर मांही ॥
ब्राजमान मूरत, पदम आसण इदकारी ।
उनमुन मुद्रा ध्यान, दिसट नासा धुन भारी॥
मूरत को आकार, देख पाछा घर आया ।
डूंगर पूर्णदास जनां कुं भेद बताया ।।
सोच करो मत कोय, सुन समाद कहीजे ।
नामदेव कबीर तायें के आह सुणीजे ॥
निमसकार कर जोड़, आण परसाद चढाया।
सब सिख करे उछाहें, सतगुरु पुरा पाया ॥
परबुधी परवीण, परष समाद बताई ।
जन दरिया के सिख, सोभ नारद ज्यूं पाई ॥
सवा पोहर समाद, दास दरिया के लागी।
निरभो पद निरवाण, चढया अणभो अणरागी ॥
सुन मंडल में जाय, आप पाछा फिर आया।
तेज पुंज का नूर, प्रथम लीलाट झलकाया ॥
चेतन भया सरीर, इन्द्र घट भीतर खोल्या ।
क्रिपा कर म्हाराज, बेण इम्रत का बोल्या ॥
प्रसन करी म्हाराज, सिषा कुं सबद सुणाया।
म्हाने लागी समाद, कुणी जन भेद बताया ॥
धिन बड भागी सिष, गुरु सुं अरजी किनी।
भई आपकी मेहर, बात मैं दिल में चिनी ॥
भगवंत पारस नाथ, जिनां की मूरत देखी।
आसण इडग अडोल, सुरत नहचल धुन पेषी ॥
निरष परख आकार, आप के चरणां लागो ।
मुख सुं कही समाद, भरम सारों को भागो ॥
परसण भये म्हाराज, आप शिष पर राजी ।
कुरसी बंद कुशाल, चाकरी आछी साजी ॥
अकल बजीर मन कुवास, बुध विचक्षण ज्यूं भारी ।
जन दरिया के सिख, ग्यांन पूरण इदकारी ॥
भगतण भजन प्रगट्या, लागी सुन समाद ।
पदमा जन दरियाव की, महिमा अगम अगाद ॥
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