Tuesday 18 October 2022

अथ समाद को प्रसंग

अथ समाद को प्रसंग 

इस प्रसंग में दरिया महाप्रभु के सुरत शब्द योग से समाधि लगना शरीर जड़वत् होना निश्चेष्ट शरीर को देखकर शिष्यों को चिन्ता होना व जैन मन्दिर में जाकर महावीर भगवान् की समाधियुक्त मूर्त को देखकर धैर्यधारण करना समाधि-विराम के बाद दरिया महाप्रभु द्वारा शिष्यों को ध्यान योग कृपा चमत्कार बताना।

पहल प्रथम दरियाव, आप समाद लगाइ । 
बई नग्र में बात, दुनी सब देखण आई ॥ 
सोच करे नर नार, और षड दर्शन उभा । 
पड़ी हाक बाजार, भया एक बड़ा अचंभा ॥ 
रामस्नेही जके सभा सब संगत बैठी। 
सुणी न कानां बात, नई कोई आंख्या दिठी ॥ 
या गत लषी न जाई, करे इचरज जो सारा। 
हंस गयो हर पास, पिये इमृत रस धारा ॥ 
बधी कला करतूत, देह को नूर सवायो । 
सरद पुन्यूं की रात, चंद ज्यूं निरमल थायो ॥ 
खुल्या कँवल ज्यूं नेण, साम रेखा सब न्हासत । 
शुक्ल वरण चष रूप, तेज उडगण ज्यूं भ्यासत ॥ 
नष चष यह सेनाण, तुचा सो वरण विराजे। 
ता घट लोही न मांस, प्राण सुन सेवा साजे ॥
आसण वजर विग्यान, धुन धू ज्यूं धारयो । 
कुशालचंद कुशवगत, उगत कर अर्थ विचारयो ।
अग्याकार इदकार बीरबल, अकल उपाई। 
गया दोड़ ततकाल, ज्यांन का मन्दिर मांही ॥ 
ब्राजमान मूरत, पदम आसण इदकारी । 
उनमुन मुद्रा ध्यान, दिसट नासा धुन भारी॥ 
मूरत को आकार, देख पाछा घर आया । 
डूंगर पूर्णदास जनां कुं भेद बताया ।।
सोच करो मत कोय, सुन समाद कहीजे । 
नामदेव कबीर तायें के आह सुणीजे ॥ 
निमसकार कर जोड़, आण परसाद चढाया। 
सब सिख करे उछाहें, सतगुरु पुरा पाया ॥ 
परबुधी परवीण, परष समाद बताई । 
जन दरिया के सिख, सोभ नारद ज्यूं पाई ॥ 
सवा पोहर समाद, दास दरिया के लागी। 
निरभो पद निरवाण, चढया अणभो अणरागी ॥ 
सुन मंडल में जाय, आप पाछा फिर आया। 
तेज पुंज का नूर, प्रथम लीलाट झलकाया ॥
चेतन भया सरीर, इन्द्र घट भीतर खोल्या । 
क्रिपा कर म्हाराज, बेण इम्रत का बोल्या ॥
प्रसन करी म्हाराज, सिषा कुं सबद सुणाया। 
म्हाने लागी समाद, कुणी जन भेद बताया ॥
धिन बड भागी सिष, गुरु सुं अरजी किनी। 
भई आपकी मेहर, बात मैं दिल में चिनी ॥
भगवंत पारस नाथ, जिनां की मूरत देखी। 
आसण इडग अडोल, सुरत नहचल धुन पेषी ॥
निरष परख आकार, आप के चरणां लागो । 
मुख सुं कही समाद, भरम सारों को भागो ॥
परसण भये म्हाराज, आप शिष पर राजी । 
कुरसी बंद कुशाल, चाकरी आछी साजी ॥
अकल बजीर मन कुवास, बुध विचक्षण ज्यूं भारी । 
जन दरिया के सिख, ग्यांन पूरण इदकारी ॥
भगतण भजन प्रगट्या, लागी सुन समाद । 
पदमा जन दरियाव की, महिमा अगम अगाद ॥

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